Wednesday, February 26, 2020

जानिए कितना शानदार है राष्ट्रपति भवन का किचन, जिसने डोनाल्‍ड ट्रंप को दी दावत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत में राष्ट्रपति भवन शानदार डिनर का आयोजन कर रहा है. उसमें एक से एक व्यंजन परोसे जाएंगे. राष्ट्रपति भवन का किचन किसी फाइव स्टार होटल के किचन से कम नहीं है. आमतौर पर जो भी राष्ट्रप्रमुख यहां दावत में शामिल होते हैं, वो यहां के खाने की जरूर तारीफ करते हैं. क्या आपको मालूम है कि यहां का आधुनिक किचन कैसे काम करता है और कैसे किसी भोज की तैयारी करता है.

राष्ट्रपति भवन में दो किचन हैं- एक राष्ट्रपति का निजी किचन. दूसरा यहां होने वाले कार्यक्रमों में खानपान की जिम्मेदारी निभाने वाला किचन. पहला छोटा है और दूसरा खासा बड़ा. पहले किचन का स्टाफ छोटा है तो दूसरे का ज्यादा बड़ा, जिसके मुखिया एक सीनियर एक्जीक्यूटिव शेफ मोंटी सैनी हैं. बड़ा किचन आधुनिक उपकरणों और सुविधाओं से लैस है. ये पांच सितारा होटलों के किचन को भी मात देता है. इस किचन में मोंटी सैनी की अगुआई में करीब 45 लोगों की बड़ी टीम काम करती है. जब पिछली बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा राष्ट्रपति भवन में दावत में आमंत्रित थे. तब उन्होंने भी यहां परोसे गए पकवानों की खासी तारीफ की थी.

कई सेक्शन हैं किचन के राष्ट्रपति भवन के किचन के कई सेक्शन हैं– मुख्य किचन, बेकर्स, स्वीट सेक्शन, कॉन्टिनेटल और ट्रेनिंग एरिया. ये पूरा हिस्सा वातानुकूलित है. सफाई के लिए खास टीम है. किचन हमेशा हाईजीन के इंटरनेशनल मानदंडों के अनुसार साफ रखा जाता है. यही किचन राष्ट्रपति भवन के सभी आधिकारिक समारोहों, मीटिंग्स, रिसेप्शन और कॉन्फ्रेंस में खानपान की व्यवस्था संभालता है.

80 के दशक के बाद किचन मॉर्डन हो गया80 के दशक में यहां किचन ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया. 90 के दशक में ये पांच सितारा होटलों की डिशेज को मात देने लगा. आज इसका जो स्वरूप है, उसमें ये दुनिया के किसी भी बेहतरीन होटल के किचन को टक्कर दे सकता है. दशकों में राष्ट्रपति भवन के किचन विभाग ने लोगों के खास स्वागत और खाना परोसने की शैली विकसित कर ली है.

हर काम का समय है तय
राष्ट्रपति भवन की पाक शाला रोज़ नई चुनौतियों के साथ काम शुरू करती है. हर काम के लिए डेडलाइन तय होती है. ना एक मिनट इधर ना उधर. अगर रात के कुछ घंटों को छोड़ दिया जाए तो किचन में सुबह जल्दी काम शुरू होता है. देर तक चलता रहता है. किचन टीम रोजाना 15-16 घंटे काम करती है.

तैयारियां कई दिन पहले शुरू हो जाती हैं
किसी भी समारोह या औपचारिक बैंक्वेट के लिए तैयारियां कई दिन पहले शुरू हो जाती हैं. मेन्यू की प्लानिंग पहले ही हो जाती है. सीनियर एग्जीक्यूटिव शेफ इस पर मुहर लगाते हैं. मेन्यू की मंजूरी के बाद सामग्रियों की लिस्ट स्टोर में भेजी जाती हैं. जिसमें खानपान के सामान से लेकर कटलरी, क्रॉकरी, कांच के सामान आदि सभी जरूरी चीजों की डिमांड होती है. सभी कटलरी और कांच के सामान पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न बने होते हैं.

दावत का मेन्यू राष्ट्रपति भवन की प्रेस में छपता है
दावत का मेन्यू फाइनल होने के बाद अगर सामान की मांग स्टोर में भेजी जाती है तो मेन्यू को भी राष्ट्रपति भवन की ही प्रिंटिग प्रेस छापती है. डिजाइन विभाग इसकी डिजाइन करता है.

आठ घंटे पहले तैयार हो जाती है टेबल की साजसज्जा
राष्ट्रपति भवन में किसी भी भोज से करीब छह से आठ घंटे पहले टेबल तैयार कर ली जाती है. उस पर क्रॉकरी सज चुकी होती है. टेबल पर फूलों की सजावट होती है.

समोसे और कचौड़ियों की बात ही खास
राष्ट्रपति भवन के रसोइये तरह-तरह के व्यंजनों के उस्ताद हैं. बेकरी सेक्शन अगर केक, ब्रेड्स, पिज्जा, डोनट्स, पेस्ट्री, बर्गर आदि का विशेषज्ञ है, तो भारतीय मिठाइयों का सेक्शन जलेबी, गुलाब जामुन, इमरती, बंगाली मिठाइयां आदि बनाता है. जिन लोगों ने राष्ट्रपति भवन के समारोहों में शिरकत की है, वो बताते हैं कि यहां के समोसे, ढोकले और कचौड़ियों का स्वाद ही अलग होता है. इसका स्वाद यहां आने वाले लोगों को भी खूब भाता है.

अवधी व्यंजनों का भी बोलबाला
इसके अलावा मुर्ग दरबारी, गोश्त थाखनी, दाल रायसीना, कोफ्ता, आलू बुखारा कुछ ऐसे व्यंजन हैं, जिसमें यहां का किचन देश के किसी पांच सितारा होटल की पाक कला को भी मात देता है. यहां परोसे वाले अवधी व्यंजनों का जायका भी बेहतरीन रहता है. दाल रायसीना के स्वाद का भी कोई मुकाबला नहीं.

कैसे तय होती हैं डिशेज
सभी डिशेज अलग प्रोग्राम और उनके नेचर के साथ मेहमानों की फूड हैबिट्स व उनकी पसंद से तय की जाती हैं. अगर कोई खास मेहमान आ रहा हो तो तैयारी बहुत पहले ही शुरू हो जाती है. मसलन डोनाल्ड ट्रंप की दावत राष्ट्रपति भवन के लिए बहुत खास है, लिहाजा इसके लिए डिशेज की तैयारी, वैरायटी पहले ही शुरू हो चुकी होगी.

क्या होती है किचन की प्राथमिकता
राष्ट्रपति का किचन कोशिश करता है कि वो डिनर या लंच में भारतीय और कॉन्टिनेंटल व्यंजनों को परोसे. ये सिलसिला तब से ही चल रहा है, जब 1929 में राष्ट्रपति भवन बनकर तैयार हुआ, हालांकि तब इसे वायसराय हाउस कहा जाता था. यहां अंग्रेज वायसराय रहा करते थे.

सूप, डेजर्ट और चाय-कॉफी
आमतौर पर भोज में सूप, वेज और नॉन वेज व्यंजनों की विविधता और कई तरह के डेजर्ट होते हैं. इसके बाद चाय, कॉफी का दौर चलता है. मेहमानों की विदाई के समय उन्हें पान और माउथ फ्रेशनर दिया जाता है. खाने के दौरान नौसेना का बैंड संगीत की धुनें बजाता है. इस संगीत का कंपोजिशन हिन्दी, अंग्रेजी और संबंधित देश के अनुसार होता है.

कैसा है छोटा किचन
राष्ट्रपति भवन का छोटा किचन दरअसल राष्ट्रपति का निजी किचन है. जिसमें राष्ट्रपति, उनके परिवार और निजी मेहमानों के खानपान का ध्यान रखा जाता है. प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति थे तब उनके निजी किचन के मेन्यू में कई तरह के बंगाली व्यंजन और मिठाइयां जोड़े गए. अब नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसमें अपनी पसंद के अनुसार फेरबदल कराया है.

मसाले और सब्जियां पूरी तरह आर्गनिक
राष्ट्रपति भवन के किचन में बनने वाली सब्जियां और मसाले पूरी तरह यहां के किचन गार्डन में उगाई जाती हैं. ये काफी बड़ा है. यहां अलग-अलग प्रकार और प्रजातियों की सब्जियां और हर्ब्स उगाए जाते हैं, ये पूरी तरह आर्गेनिक होते हैं.

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