Thursday, February 27, 2020

पहली बार कर रहे हैं हवाई यात्रा तो जरूर ध्यान रखें ये बातें, वरना हो जाएंगे परेशान

लंबी से लंबी दूरी को चंद समय में पूरी करने के लिए फ्लाइट यानी हवाई जहाज एक बहुत ही अच्छा साधन है। हालांकि हवाई जहाज से जुड़ी ऐसी कई बाते हैं जो पहली बार यात्रा करने वालों के साथ लगातार यात्रा करने वाले भी नहीं जानते हैं। हवाई जहाज यात्रा करते समय कुछ शब्द हमेशा आपसे टकराते हैं जिनका अर्थ जानना बेहद जरूरी है। अगर हवाई यात्रा करते हुए इन बातों का मतलब समझ लिया जाए, तो आपकी यात्रा मंगलमय हो सकती है। एयरपोर्ट में प्रस्थान से लेकर गंतव्य स्थान पर पहुंचने तक यह बातें पता होनी चाहिए। आइए जानते हैं हवाई जहाज से जुड़ी महत्वपूर्ण शब्दावली-
हवाई यात्रा को तीन भागों में बांटा जा सकता हैं-

  • एयरपोर्ट में प्रस्थान
  • जहाज में बोर्डिंग
  • गंतव्य स्थान पर पहुंचना यानि अराइवल

अगर आप हवाई यात्रा कर रहे हैं या फिर करने का सोच रहे हैं तो यह बात आपके लिए उपयोगी हो सकती है। टर्मिनल ( Terminal )
हर एयरपोर्ट पर टर्मिनल्स होते हैं जहां जितने ज्यादा टर्मिनल वह उतना बड़ा एयरपोर्ट होता है। टर्मिनल की संख्या के हिसाब से इनको टर्मिनल-1 और टर्मिनल -2 कहा जाता है।

टर्मिनल का मकसद-

  • हवाई यात्रा व्यवस्था बनी रहे
  • भीड़ को संभाला जा सके
  • सुचारू तौर पर यात्रियों की संख्या को व्यवस्थित किया जा सके
  • समय प्रबंधन के लिए

प्रस्थान द्वार ( डिपार्चर गेट)

  • वह द्वार जिससे आप एयरपोर्ट से अंदर जाते हैं।

चेक-इन

  • वह प्रक्रिया जिससे गुजरकर आप यात्रा की शुरुआत करते हैं, इसके तहत,
  • टिकट बुकिंग दस्तावेजों की जांच-पड़ताल
  • संबंधित कागजों और प्रमाण पत्रों की जांच
  • लगेज यानि सामान की बोर्डिंग
  • ग्राउंड स्टाफ लगेज से लेकर दस्तावेजों की जांच-पड़ताल करता है

चेक- इन काउंटर हर जहाज कंपनी का काउंटर एयरपोर्ट के अंदर उपस्थित होता है जिसमें यात्रा से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध होती है और जिस एयरलाइन्स से यात्रा कर रहे हैं उसके काउंटर से ही यात्री को चेक-इन करके निकलना होता है।
चेक इन लगेज
यह दो प्रकार से होता है,

  • कार्गो होल्ड लगेज
  • पहला, बड़ा लगेज जिसका वजन 10 किलोग्राम से करीब 25 किलोग्राम तक हो सकता है ( इंटरनेशनल और डोमेस्टिक यात्रा का अलग अलग होता है) । यह लगेज चेक- इन काउंटर से ही अंदर जाता है।
  • इसका वजन ज्यादा होता है।
  • यह कार्गो होल्ड के लिए जाता है

दूसरा- केबिन लगेज

  • यह हैंडी लगेज होता है।
  • इसको यात्री अपने साथ हवाई जहाज के अंदर तक ले जा सकते हैं( पासपोर्ट, दवाईयां इत्यादि)।
  • इसमें जरुरी सामान और दस्तावेज होते हैं।

बोर्डिंग पास
यह वह पास होता है जो टिकट डिटेल्स दिखाने के बाद यात्री को मिलता है। यह महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जिसके द्वारा ही आप यात्रा करने के लिए प्रामणिक यात्री होते हैं, जिसकी सहयता से यात्री टर्मिनल तक जाता है।

बोर्डिंग पास में क्या क्या होता है-

  • यात्री का नाम
  • यात्रा का समय ( टेक-ऑफ और लैंडिंग )
  • फ्लाइट नंबर
  • सीट नंबर
  • डेस्टिनेशन ( कहां से कहां तक )
  • लगेज पास

सुरक्षा जांच (सिक्योरिटी चेक-इन)
बोर्डिंग पास के बाद सुरक्षा जांच होती है जिसमें आपकी और आपके साथ जो सामान होता है उसकी जांच पड़ताल होती है। जांच के बाद टिकट पर मुहर लगने के बाद यात्री टर्मिनल तक जाता है।

प्रस्थान द्वार ( बोर्डिंग गेट)
यह वह द्वार होता है जहां से यात्री को एयर बस या फ्लाइट मिलती है। उसी के बाहर वेटिंग लाउंज होता है जहां पर बोर्डिंग खुलने से पहले आराम किया जा सकता है।

कॉकपिट से लेकर प्लेन के टेल तक के हिस्से को हवाई जहाज या फ्लाइट कहते हैं।

  • कॉकपिट- जहां पर जहाज का पायलट और सहायक पायलट बैठता है, हवाई जहाज के उस अग्रिम हिस्से को कॉकपिट कहते हैं।
  • केबिन- जहाज के अंदर वाले हिस्से को जहां पर यात्री बैठकर यात्रा करते हैं उसको केबिन कहते हैं।
  • केबिन क्रू- एयर होस्टेज और जो भी जहाज के अंदर यात्रियों को सहायता करता है वह सब केबिन क्रू कहलाता है।
  • रन-वे (Runway ) – जहाज उड़ान भरने से पहले जिस मार्ग पर चलता है उसको रन- वे कहते हैं। यह रास्ता केवल प्लेन के लिए बना होता है।
  • टाक्सिंग (Taxiing )-जब प्लेन रन-वे पर चलता है तो उसे टाक्सिंग कहते हैं।
  • आईल ( Aisle )- जहाज में दो सीटों के बीच में चलने के स्थान और रास्ते को आईल कहा जाता है।

ओवरहेड बिन या कम्पार्टमेंट ( Overhead Bin or Compartment )-
जहाज का वह हिस्सा जो ऊपर की तरफ होता है और वहां पर यात्री अपना सामान रख सकते हैं उसको ओवरहेड बिन या कम्पार्टमेंट कहा जाता है।

सीट –

  • विंडो सीट
  • आईल सीट
  • मिडिल सीट

लवटोरय ( lavatory )-
हवाई जहाज में वॉशरूम को लवटोरय कहते हैं।

गैली ( Galley )- हवाई जहाज के किचन को गैली कहते हैं जहां भोजन का इंतजाम किया जाता है और खाने को रखा जाता है।

हवाई जहाज के सदस्य (क्रू मेंबर)-

  • पायलट- पायलट को फर्स्ट अफसर भी कहा जाता है।
  • इसको कप्तान भी कहा जाता है।
  • फ्लाइंग इंचार्ज पायलट होता है।

सहायक -पायलट- पायलट की अनुपस्थिति में यह जिम्मेदार होता है।

टेक-ऑफ- रन-वे से जब प्लेन उड़ान भरता है तो उसको टेक-ऑफ कहते हैं।
लैंडिंग- जब जहाज अपने गंतव्य स्थान या नीचे उतरता है तो उसको लैंडिंग कहते हैं।

क्रुइस ( Cruise )-
जब प्लेन उड़ता है और थोड़ा ऊपर जाकर एक समता में आकर संतुलित उड़ान भरता है तो इसको क्रुइस कहा जाता है।

टर्बुलेंस ( Turbulence )- जब हवाई जहाज खराब मौसम में उड़ रहा होता है या फिर विपरीत हवा के वेग में उड़ रहा होता है तब उस स्थिति को टर्बुलेंस कहते हैं।

डी- बोर्डिंग – जब गंतव्य पर पहुंच जाते हैं और लगेज कलेक्शन बेल्ट की तरफ अपने सामान के लिए जाते हैं उसको डी- बोर्डिंग कहते हैं। लगेज बेल्ट को कनवेयर बेल्ट भी बोलते हैं।

  • हवाई जहाजों को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि इन पर बिजली गिरने का भी कोई असर नहीं हो।
  • 1963 में हवाई जहाज पर आसमानी बिजली गिरी थी उसके बाद कोई भी हादसा जहाजों पर बिजली गिरने का नहीं हुआ है।
  • हवाई जहाज के टायर करीब 38 टन तक का वजन तक सह सकते हैं और 170 मील प्रति घंटा की रफ्तार से जमीन पर आरा से उतर सकते हैं।
  • हवाई जहाज में दो इंजन होते हैं लेकिन हवाई जहाज एक इंजन पर भी आराम से चल सकता है।
  • दुनिया का सबसे बड़ा यात्री प्लेन एयरबस A380 है जिसमें चार इंजन लगे हैं।
  • हवाई जहाज के टायर बदलने के लिए भी जैक का प्रयोग किया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे कार का टायर बदला जाता है।
  • हवाई जहाज लैंडिंग के दौरान प्लेन के अंदर लाइट डिम इसलिए कर दी जाती है ताकि प्लेन लैंडिंग के बाद यात्रियों की आंखों और मस्तिष्क पर जोर ना पड़े।
  • हवाई जहाज की खिड़की के शीशों में एक बहुत छोटा छेद होता है,इसका मकसद हवाई जहाज में हवाई दबाव को बनाए रखा जा सके।
  • वातावरण में जितनी कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जाएगी, हवाई जहाजों की समस्या भी बढ़ती जाएगी।
  • पायलटों की दृष्टि 20/20 होनी आवश्यक है।
  • प्लेन के बाथरूम स्पेस में राख ( ashtrays) भी रखी होती है ताकि अगर कोई सिगरेट जलाता है तो उसको बुझाया जा सके, प्लेन में स्मोकिंग नहीं की जा सकती है।
  • कुछ ऐसी खास एयरलाइंस भी हैं जिनमें पायलट और सह -पायलटों को एक जैसा भोजन करने की अनुमति नहीं होती हैं इसके पीछे का कारण यह है अगर किसी वजह से एक की तबीयत खराब हो जाए तो दूसरा पायलट हवाई जहाज उड़ा सके।
  • हवाई जहाज की सबसे खतरनाक दुर्घटना 1977 में हुई थी जिसमें रन-वे पर दो हवाई जहाज आमने-सामने टकरा गए थे, 500 यात्रियों की मौत हो गई थी।

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