चीन में महामारी बन चुके कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. घातक वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 2,600 तक पहुंच चुकी है. परेशानी यह कि महामारी केवल चीन ही नहीं बल्कि जापान, साउथ कोरिया, नॉर्थ कोरिया के अलावा 55 और देशों पैर पसार चुका है. चीन के बाद जिस देश पर इस महामारी का सबसे ज्यादा असर हुआ है वह जापान जहां इसके अब तक 900 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं, वहीं नो लोगों की मौत भी हो चुकी है.
कोरोना वायरस के कारण जापान में काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है. इस साल के ग्रीष्म ओलिंपिक की मेजबानी टोक्यो को साल 2013 में दी गई थी. तैयारियों को आखिरी रूप में देने में लगे इस देश के सामने कोरोना वायरस बड़ी मुसीबत बनकर खड़ा है, इस कारण टोक्यो ओलिंपिक पर तलवार लटक रही है. लगभग एक दशक से इन खेलों की तैयारियों में 12 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका जापान इन खेलों से काफी आस लगाए बैठा था.
दरसअसल पिछले हफ्ते आईओसी (IOC) के सदस्य और पूर्व ओलिंपिक चैंपियन तैराक डिक पाउंड ने कहा, ‘हमारे पास तीन महीने का समय है, जिसमें हम टोक्यो ओलिंपिक के भविष्य पर फैसला लेंगे. मई के समय काफी तैयारियां अपने अंतिम रूप में होंगी. तैयारियां पूरी होने से पहले ही हम फैसला करेंगे कि क्या यह खेल होंगे या नहीं.’ इसके बाद से ही जापान पर उन खेलों के रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है. अगर ऐसा होता है तो 124 साल के इतिहास में चौथा मौका होगा, जब गेम्स रद्द होंगे. इससे पहले, 1916, 1940, 1944 ओलिंपिक वर्ल्ड वॉर के कारण रद्द हुए थे.
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का बड़ा सपना है टोक्यो ओलिंपिक 2012 में जापान के मुख्यमंत्री शिंजो आबे ने ‘मेक जापान ग्रेट अगेन’ की मुहिम शुरू की थी. इसका उदेश्य था बार-बार प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आने वाले जापान को फिर समद्ध बनाना. उनकी इस मुहिम के अगले ही साल जापान को 2020 के ओलिंपिक खेलों की मेजबानी दे दी गई. शिंजो आबे का सपना था कि टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympic) के बाद देश में उसी तरह के सकारात्मक बदलाव आएंगे जैसे साल 1964 में आए थे. साल 1964 में जब टोक्यो में ओलिंपिक आयोजित किए गए, तब लगभग 900 बिलियन येन का निवेश किया गया था, जो कि उस समय जापान की जीडीपी का 3 प्रतिशत हिस्सा था. हालांकि इसके बाद साल के अंत तक जापान की इकनॉमी में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. उम्मीद की जा रही थी कि साल 2012 में भूकंप और सुनामी के कारण इकनॉमी में लगातार गिरावट झेल रहा जापान टोक्यो ओलिंपिक के सहारे अपनी नैया पार करेगा.
विदेशी पर्यटकों से काफी उम्मीद
टोक्यो ओलिंपिक से जापान को विदेशी पर्यटकों के अलावा कंस्ट्रक्शन बिजनेस में काफी वृद्धि की उम्मीद थी. टोक्यो ओलिंपिक के समय बड़ी तदाद में विदेशियों के आने की उम्मीद थी. विदेशी पैसा आने से जापान की इकोनॉमी को मजबूती मिलना तय था, जिससे येन (जापान की करंंसी) को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में मजबूती मिलती. ओलिंपिक ऐसा मंच है, जहां से मेजबान देश घर पर आए पर्यटकों को सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि देश के अन्य पर्यटक स्थलों की और आकर्षित करने की कोशिश करते हैं. सरकार का टारगेट था कि इस साल के अंत तक लगभग 20 मिलियन विदेशी पर्यटक जापान आएंगे जिससे खेलों में किए गए निवेश की ना सिर्फ भरपाई होगी, बल्कि आगे आने वाले समय में भी यह मदद करेगा. अगर ओलिंपिक नहीं होते हैं तो जापान का यह सारा पैसा बेकार हो जाएगा, वहीं गिरती हुई इकोनॉमी और ज्यादा गर्त में चली जाएगी. जापान की ओलिंपिक कमेटी पहले ही हाथ खड़े कर चुकी है कि अगर खेल रद्द होते हैं तो उनके पास इसके लिए कोई और विकल्प नहीं होंगे.
जापान के शेयर मार्केट में अभी से गिरावट
ऑडिट की जानकारी के मुताबिक जापान ने अब तक 12.6 बिलियन डॉलर रुपए खर्च किए हैं, जबकि खबरों के मुताबिक असल रकम इससे दुगुनी है. देश की इकोनॉमी का इस पर बड़ा असर होगा और उनकी जीडीपी जो पिछले काफी सालों से धीमी गति से बढ़ रही है और गर्त में चली जाएगी. इसका असर अभी देखने को मिल रहा है. मंगलवार को आईओसी के सदस्य डिक पाउंड का इंटरव्यू आते ही शेयर मार्केट में काफी गिरावट देखने को मिली. इसके बाद जापान की सबसे बड़ी एड एजेंसी देंतसु के शेयर पिछले सात सालों में सबसे कम स्तर पर पहुंच गए थे.
जापान के पास नहीं है कोई प्लान बी
जापान सरकार (Japan) इस साल के बजट में पहले ही 102.7 ट्रिलियन येन ओलिंपिक के लिए आवंटित कर चुकी है. इसके अलावा सरकार के पास नुकसान की भरपाई के लिए कोई प्लान बी नहीं है. जापान के नेशनल बैंक के पास भी इकोनॉमी को डाउनफॉल से बचाने के काफी कम पैसा है. हालांकि उम्मीद है कि टोक्यो को आईओसी से मदद मिलेगी. साल 2016 में हुए रियो ओलिंपिक को लगभग 800 मिलियन डॉलर के इंश्योरेंस के लिए 13 मिलियन डॉलर दिए थे.
आईओसी को भी होगा बड़ा नुकसान
जापान ने स्पॉन्सरशिप को ब्रॉडकास्टिंग डील को मिलाकर अब तक तीन बिलियन डॉलर की डील की है. यूएस टीवी, टीवी नेटवर्क एनबीसी ने अकेले ही ब्रॉडकास्टिंग के लिए 1.4 बिलियन डॉलर दिए है. अगर गेम्स नहीं होते हैं तो न तो जापान को इससे शेयर मिलेगा, साथ ही IOC को भी बड़ा नुकसान होगा. आईओसी के लिए ओलिंपिक पैसा जुटाने का बड़ा जरिया होता है, जिससे वह आने वाले 4 साल तक खर्च निकालता है. इसी पैसे से वह एजुकेशन प्रोगाम और ट्रेनिंग प्रोगाम के साथ अन्य खेल इवेंट के आयोजन कर खर्च उठाता है. अगर ओलिंपिक रद्द होते हैं तो आईसोसी के लिए बाकी टूर्नामेंट का आयोजन कराना ट्रेनिंग कैंप कराना मुश्किल होगा.
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