Thursday, January 30, 2020

जनवरी में 1.15 लाख करोड़ के रिकॉर्ड को छू सकता है वस्तु एवं सेवा कर संग्रह

वस्तु एवं सेवा कर (GST) कलेक्शन जनवरी में 1.15 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड तोड़ सकता है। हालांकि, दो सरकारी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कि चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में केवल 11,000 करोड़ रुपये की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से कुशल कर प्रशासन के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद पटरी पर हैं। इन नंबरों के समग्र प्रभाव को देखना होगा; वित्त मंत्रालय ने 2019-2020 में शुद्ध कर राजस्व में 25.5 लाख करोड़ रुपये में 25% की वृद्धि का बजट पेश किया। यह वर्ष के पहले आठ महीनों में आधे से भी कम एकत्र करने में कामयाब रहा।

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 4.5% बढ़ा, जो मार्च 2013 के बाद सबसे कम है। सरकार के पहले उन्नत अनुमानों के अनुसार, भारत की जीडीपी 2019-20 में 5% बढ़ने की उम्मीद है। ये 2008-09 के बाद से सबसे कम है। अधिकारियों ने बताया कि जनवरी में संशोधित लक्ष्य के अनुसार जीएसटी संग्रह 1.15 लाख करोड़ रुपये है। यह प्राप्त करने लायक है क्योंकि हम प्रौद्योगिकी और डेटा एनालिटिक्स, का उपयोग करके लगभग 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व रिसाव को प्लग करने में सक्षम हैं।

बताते चलें कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मामलों की सुनवाई के लिए राज्यों में जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन होना है। जीएसटी लागू हुए ढाई साल का वक्त बीत चुका है, लेकिन राज्य में ट्रिब्यूनल स्थापित नहीं हो पाई है। ऐसे में विभाग जो पेनाल्टी और जुर्माना लगा रहा है, उनकी अपील कहां हो यह साफ नहीं है। इससे कारोबारी परेशान हैं। उन्हें इन मामलों में हेल्पलाइन से भी कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। शुरुआती साल में जीएसटी को लेकर किसी तरह की सख्ती नहीं थी, ऐसे में राज्य में ट्रिब्यूनल की आवश्यकता भी महसूस नहीं की गई, लेकिन अब जुर्माना और पेनाल्टी लगने के साथ ही जीएसटी में फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं तो ट्रिब्यूनल की जरूरत भी महसूस होने लगी है। ऐसे में जिन कारोबारियों पर पेनाल्टी लग रही है, उनके पास विभागीय अपील के अलावा ट्रिब्यूनल में जाने का कोई विकल्प ही नहीं है। राज्य में जल्द से जल्द ट्रिब्यूनल की मांग भी जो पकड़ने लगी है। देवभूमि टैक्स बार एसोसिएशन देहरादून के साथ ही राज्य के हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर जिलों की टैक्स बार एसोसिएशनें भी ट्रिब्यूनल गठन की मांग कई बार सरकार के सामने उठा चुके हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।

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