Wednesday, January 29, 2020

कोरोना वायरस का इलाज क्यों नहीं ढूंढ पा रहा है चीन?

एक ऐसा वायरस जिसकी जानकारी अब तक विज्ञान में थी ही नहीं, वो चीन में तो कहर ढा रहा है. अब ये वायरस दुनिया के कई दूसरे देशों तक भी पहुंच गया है.

बीते साल के दिसंबर में चीन के वुहान शहर से फैले इस वायरस का नाम है कोरोना वायरस.

चीन में इस कारण अब तक 132 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वुहान शहर के अलावा इस संक्रमण का एक मामला बीजिंग में भी पाया गया है जिसके बाद बीजिंग प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वो जितना हो सके यात्रा करने से बचें.

जर्मनी और जापान में कोरोना वायरस के मामले ऐसे लोगों में पाए गए हैं, जो कभी चीन नहीं गए.

हॉन्गकॉन्ग ने भी इसके मद्देनज़र कड़ी पाबंदियों की घोषणा की है. रूस ने चीन के साथ सटी अपनी सीमा का अधिकतर हिस्सा पूरी तरह बंद कर दिया है.

विश्व भर के स्वास्थ विशेषज्ञ इस वक्त इस वायरस के कारण हाई अलर्ट पर हैं.

क्या है कोरोनावायरस?

अपने आकार में क्राउन (कांटों वाला) जैसा दिखने के कारण इस वायरस का नाम कोरोना पड़ा है. कोरोना वायरस इंसान के फेफ़ड़ों में घातक संक्रमण करता है.

सबसे पहले संक्रमित व्यक्ति के शरीर का तापमान बढ़ जाता है यानी उसे बुखार आता है जिसके बाद उसे सूखी खांसी होती है. एक सप्ताह बाद उसे सांस लेने में दिक्कत होती है.

अब तक मौजूद जानकारी के अनुसार इस ख़ास वायरस की एक बड़ी फैमिली है जिसमें से केवल छह वायरस ही इंसान को संक्रमित कर सकते हैं. माना जा रहा है कि इंसानों में बीमारी फैलाने वाला कोरोना वायरस इस फैमिली का सांतवा सदस्य है.

इस फैमिली के वायरस के कारण पहले व्यक्ति को सर्दी जुक़ाम और खांसी होती है, और फिर स्थिति गंभीर होती जाती है.

साल 2012 में चीन में 774 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार सार्स वायरस (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) भी एक तरह का कोरोना वायरस होता है.

वेलकम ग्रुप के डॉ जोज़ी गोल्डिंग कहती हैं, “ये सार्स वायरस की ही तरह का है इस कारण इससे डर और भी अधिक है. लेकिन आज हम इस तरह की बीमारी से निपटने के लिए अधिक तैयार हैं.”

क्यों नहीं मिल रहा इसका इलाज?

इस वायरस के संक्रमण के तुरंत बाद व्यक्ति की मौत नहीं होती. जानकार मानते हैं कि इस कारण इससे संक्रमित लोगों की संख्या का सही आंकड़ा पता करना मुश्किल है.

इसे पहले कोरोना वायरस के पाए गए मामलों का नाता वुहान के साउथ चाइना सी-फूड होलसेल मार्केट से बताया जाता रहा है. लेकिन 1 दिसंबर 2019 से संक्रमण से जुड़े दस्तावेज़ इस ओर इशारा करते हैं कि इस कोरोना वायरस का वुहान के सी-फूड मार्केट से कोई नाता नहीं है.

रही सार्स की बात तो ये वायरस पहले चमगादड़ों से बिल्लियों में और फिर बिल्लियों से इंसानों में फैला था.

अगर ये पता चल जाए कि वायरस सबसे पहले किस जानवर से फैलना शुरू हुआ है तो इसकी रोकथाम में काफ़ी मदद मिलती है.

संमदर में पाई जाने वाली बेलुगा व्हेल (सफ़ेद व्हेल) कोरोना वायरस की कैरियर हो सकती है. लेकिन वुहान के सी-फूड मार्केट में कई जंगली जीवित जानवर रखे जाते हैं, जिनमें मुर्गियां, चमगादड़, खरगोश और सांप मुख्य हैं. इन जानवरों में से कोई भी इस घातक वायरस का स्रोत हो सकता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये नया कोरोना वायरस चीनी हॉर्सशू चमगादड़ में मिलने वाले वायरस से मिलता जुलता है.

हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि आज जिस स्थिति से चीन जूझ रहा है उसके लिए यही चमगादड़ ज़िम्मेदार है. लेकिन ये हो सकता है कि इन चमगादड़ों के शरीर से वायरस दूसरे जानवर के शरीर में आया हो.

सबसे पहले जब इस वायरस के संक्रमण की ख़बर मिली तो वैज्ञानिकों का कहना था कि ये इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता लेकिन अब पता चला है कि एक व्यक्ति 1.4 से लेकर 2.5 लोगों को संक्रमित कर सकता है. ऐसे में जब तक इसका पुख्ता इलाज मिल नहीं जाता शहरों को पूरी तरह ठप कर के ही इसके संक्रमण को रोका जा सकता है.

संक्रमण कब हुआ इसका पता नहीं चलता?

चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण के लक्षण दिखने से कहीं पहले व्यक्ति में संक्रमण हो चुका होता है.

इस वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड (संक्रमण और लक्षण दिखने के बीच की वक्त) एक से 14 दिन तक हो सकता है.

सार्स और इबोला वायरस में लक्षण आने पर ही संक्रमण का ख़तरा अधिक होता है, इस कारण संक्रमित व्यक्ति को अलग-थलग कर के स्थिति पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन कोरोना वायरस के मामले में ऐसा नहीं किया जा सकता.

लंदन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ़ इन्फेक्शियस डिज़ीज़ विभाग की प्रोफ़ेसर वेन्डी बार्कले कहती हैं, “वायरस अक्सर सांस और बातचीत करने से भी फैल सकता है और इसमें आश्चर्य नहीं होगा कि कोरोना वायरस भी ऐसे ही फैलता हो.”

डॉ गोल्डिंग कहती हैं, “जब तक वायरस के स्रोत यानी कैरियर का पता नहीं चलता तब तक ये कहना भी मुश्किल है कि हमें कितना चिंतित होना चाहिए, इसका डर बना रहेगा.”

नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में वायरस विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर जॉनथन बॉल कहते हैं, “कोरोना वायरस के पुराने मामलों को देखें तो उनकी तरह, ये भी किसी न किसी जानवर से ही आया होगा.”

इंसान को संक्रमित करने के बाद ये वायरस अपनी संख्या बढ़ाने लगता है और फिर वो अपने म्यूटेन्ट (मूल स्वरूप में बदलाव) पैदा कर सकता है. इसके बाद वो और तेज़ी से फैल सकता है. इस कारण वो और ख़तरनाक हो जाता है.

इसके लिए अब तक कोई टीका नहीं ईजाद किया गया है. ऐसे में स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है.

फिलहाल डॉक्टर सार्स संक्रमण के दौरान इस्तेमाल किए गए एंटी-वायरस लोपिनावीर और रिटोनावीर का इस्तेमाल मौजूदा वक्त में संक्रमण कर रहे कोरोना वायरस से जूझने के लिए कर रहे हैं.

लेकिन जह तक इसके लिए ख़ास टीके का ईजाद नहीं होता विश्व की चिंता बनी रहेगी.

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source https://indiaabhiabhi.com/why-is-china-unable-to-find-a-cure-for-corona-virus/

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