Wednesday, January 29, 2020

अमेरिका का दबाव हुआ बेअसर, अब ब्रिटेन में भी 5जी नेटवर्क का रास्ता हुआ साफ

सुरक्षा के सवाल पर विवादों में घिरी रही चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी हुवावे को ब्रिटेन ने अपने यहां कुछ कड़ी शर्तों के साथ 5जी नेटवर्क बनाने की इजाजत दे दी है। ब्रिटेन ने कहा है कि हुवावे को सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील इलाकों से दूर रखा गया है, लेकिन अब टेलीकॉम के क्षेत्र में काम कर रही ब्रिटिश कंपनियां अपने 5जी नेटवर्क के लिए हुवावे के उपकरणों का इस्तेमाल कर सकेंगी। यह फैसला ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की अहम बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने की। बैठक में ब्रिटेन के तमाम कैबिनेट मंत्री और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। बैठक के बाद ब्रिटिश विदेश सचिव डॉमिनिक रॉब ने एक बयान जारी कर सुरक्षा मामलों के अपने सहयोगी देशों अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को आश्वस्त किया कि ब्रिटेन इस बात का पूरा ख्याल रखेगा कि इससे सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों को लेकर कोई खतरा न हो।

गौरतलब है कि अमेरिका लगातार ब्रिटेन और भारत समेत तमाम देशों पर यह दबाव बना रहा था कि वह चीनी कंपनी हुवावे को पूरी तरह प्रतिबंधित करे, क्योंकि इससे साइबर सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है। दूसरी तरफ ब्रिटेन की टेलीकॉम कंपनियों के अलावा इस क्षेत्र के दिग्गजों का दबाव था कि जल्दी से जल्दी 5जी नेटवर्क का रास्ता साफ किया जाए।

पिछले साल जून में ही सैद्धांतिक तौर पर ब्रिटेन में 5जी नेटवर्क के लिए हुवावे के साथ समझौते को लेकर एक करार हुआ था, लेकिन अमेरिकी दबाव की वजह से यह मामला अभी तक अटका हुआ था।

बाद में यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की और कहा कि अगर कोई कंपनी उनके सख्त नियमों का पालन करती है, तो उसे 5जी नेटवर्क के क्षेत्र में काम करने की इजाजत देने को लेकर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हालांकि खबरों के मुताबिक ब्रिटेन के इस फैसले से अमेरिका नाखुश है। खबर ये भी है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ने दो दिन पहले इस मामले में ट्रंप से बात भी की थी और उन्हें समझाने की कोशिश की थी।

दूसरी तरफ ब्रिटेन के भीतर भी सुरक्षा के सवाल को गंभीरता से लिया जा रहा था और खुद जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी में भी इस मुद्दे पर मतभेद रहे हैं। लेकिन दूरसंचार के क्षेत्र में तेजी से आ रहे बदलावों और प्रतियोगिता के इस दौर में आगे बढ़ने को लेकर जॉनसन पर दूरसंचार कंपनियों का यह दबाव भी था कि इस बारे में फैसला जल्दी हो। ब्रिटेन ने अपने देश के मोबाइल ऑपरेटर्स को कहा है कि वह तीन साल के भीतर हुवावे के साथ मिलकर बाजार के 35 फीसदी हिस्से पर अपना दबदबा बनाने का लक्ष्य रखें।

गौरतलब है कि हुवावे के साथ ब्रिटिश मोबाइल कंपनियां पिछले एक दशक से मिलकर काम कर रही हैं और देश में 4जी नेटवर्क का जाल बिछाने में भी हुवावे का बड़ा हाथ रहा है। ब्रिटेन हाल के वर्षों में चीन के साथ अपने आर्थिक संबंध बेहतर बनाने में लगा है और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में चीन की मदद लेता रहा है।

एक अनुमान के मुताबिक हुवावे पर प्रतिबंध लगाने की कश्मकश की वजह से इस दिशा में ब्रिटेन दो साल पिछड़ गया है और इससे करीब 6.8 करोड़ पाउंड का नुकसान उठा चुका है। जाहिर है इस फैसले का भारत पर भी असर पड़ सकता है। भारत में भी सुरक्षा कारणों से हुवावे कंपनी के साथ समझौते और 5जी नेटवर्क को लेकर आगे का रास्ता रुका हुआ है।

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