Thursday, August 29, 2019

30 अगस्त को कुशग्रहणी अमावस्या, इस दिन करना चाहिए पितरों के लिए श्राद्ध

शुक्रवार, 30 अगस्त को भाद्रपद मास की अमावस्या है. इस तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है. इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस तिथि पर वर्षभर में किए जाने वाले धर्म-कर्म के लिए कुश यानी एक प्रकार की घास का संग्रह किया जाता है. इसीलिए कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं. इस दिन पितर देवताओं के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए. किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और स्नान के बाद दान करना चाहिए.

  • कुश की कैसी घास संग्रहित करें

इस तिथि पर कुश का संचय सभी को करना चाहिए. शास्त्रों में दस प्रकार के कुशों का वर्णन है. जो भी कुश इस तिथि को मिल जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए. जिस कुश में पत्ती हो, आगे का भाग कटा न हो और हरा हो, वह देवताओं और पितर देवों के पूजन कर्म के लिए उपयुक्त होती है. कुश निकालने के लिए इस दिन सूर्योदय का समय श्रेष्ठ रहता है.

  • कुश का धार्मिक महत्व

धार्मिक कार्यों में कुश नाम की घास से बना आसन बिछाया जाता है. पूजा-पाठ करते समय हमारे अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा एकत्रित होती है. ये ऊर्जा शरीर से निकलकर धरती में न समा जाए, इसलिए कुश के आसन पर बैठकर पूजन करने का विधान है. कहा जाता है कि कुश के बने आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाते हैं.

  • कुश की अंगुठी का महत्व

कुश की अंगुठी बनाकर अनामिका उंगली मे पहनी जाती है. इस संबंध में मान्यता है कि हाथ में एकत्रित आध्यात्मिक ऊर्जा उंगलियों में न जाए. ये अंगुठी अनामिका (रिंग फिंगर) यानी सूर्य की उंगली में पहनी जाती है. इस उंगली के नीचे सूर्य पर्वत रहता है. सूर्य से हमें ऊर्जा, मान-सम्मान मिलता है.

  • अमावस्या पर करें ये शुभ काम

इस तिथि पर देवी लक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें. पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें. हनुमान मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें. पीपल को जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करें.शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.

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