Saturday, September 28, 2019

शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर सिर्फ श्रद्धांजलि काफी नहीं, जीवन में उतारें उनके ये विचार

आज देश शहीद भगत सिंह को देश याद कर रहा है। देश आजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीर सपूत की जयंती मना रहा है। साल 1907 में 28 सितंबर के दिन ही भगत सिंह का जन्म हुआ था और आज उनके जन्म को 112 साल पूरे हो गए हैं। जयंती परपर देशउन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है और आजादी के आंदोलन में उनके योगदान को याद कर रहा है। लेकिन क्या भगत सिंह के जन्मदिवसपर उन्हें याद करके प्रतिमा पर फूलमाला चढ़ाना ही काफी होगा?

शायद नहीं क्योंकि वास्तव मेंअगर हमउनकेव्यक्तित्व औरविचारोंको याद रखे बिना भगत सिंह को याद करते हैंतो उन्हें दी गईश्रद्धांजलि महज एक औपचारिकता होगी। यहां हम आज आपको भगत सिंह के कुछ ऐसे विचार बतारहे हैं जिन्हें अपनाकर आप भगत सिंह की जयंती परदेश के वीर सपूतको सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

  • आज से 87 साल पहले दुनिया छोड़कर जा चुके भगत सिंह के विचार, उनका व्यक्तित्व आज भी अमर है। वास्तव में उन्होंने अपनी ही कही एक बात को चरितार्थ किया कि ‘मौत इंसान की होती है, विचारों की नहीं।’ ये उनके विचार ही हैं जिन्होंने उन्हें लोगों के दिलोदिमाग में आज भी जिन्दा रखा है। उन्होंने अंग्रेजों के बारे में भी कहा था कि ‘वह मेरे सिर को कुचल सकते हैं, विचारों को नहीं। मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, मेरे जज्बे को नहीं’।
  • भगत सिंह ने अंग्रेजी संसद में बम गिराने के बारे में बात करते हुए कहा कि ‘बहरों सेअपनी बात कहने के लिए आवाज बुलंद होनी चाहिए।’ उनका कहना था हम किसी को मारने के बजाय बम गिराकर अंग्रेजी हुकूमत को जगा रहे थे कि अब उनके भारत छोड़ने का समय आ गया है। उन्होंनेअपना बलिदान देकर भी यही बात साबित की। आजादी की जिस आवाज के सुर अंग्रेजों के सामने धीमे थे, देश के भगत सिंह की मौत से आहत होने के बाद वह आवाज मुखर हो उठी और अंग्रेजों को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा।
  • भगत सिंह हमेशा से बदलाव के हिमायती रहे। उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा था, ‘लोग हालात के अनुसार जीने की आदत डाल लेते हैं। बदलाव के नाम से डरने लगते हैं। ऐसी सोच को क्रांतिकारी विचारों से बदलने की जरूरत है।
  • भगत सिंह अपने दम पर जिंदगी जीने के हिमायती थे। उनका कहना था ‘जिंदगी अपने दम पर जी जाती है। दूसरों के कन्धों पर तो जनाजे उठते हैं।’ अपनी इस बात से भगत सिंह देश के युवाओं के स्वाभिमान को आज भी ललकारते नजर आते हैं।
  • आजादी के मतवाले सरदार भगत सिंह मुखर होकर अपनी बात कहने के हिमायती थे। उनका कहना था ‘जो शख्स विकास का समर्थन करता है, उसे हर रूढ़िवादी चीजकी आलोचना करनी होगीऔर चुनौती देकर अपनी बात को जताना भी होगा।’

देश कीआजादी के लिए भगत सिंह केजुनून के कई किस्से सुनने को मिलते हैं। कहते हैं कि जलियावाला बाग में हुए नरसंहार से वह इतने आहत हो गएथे कि घर से कई मील दूरपैदल चलकरघटना स्थल तक पहुंच गए थे। आज इस बात परविचार किए जानेकरने की जरूरत है कि सामाजिकहित और एक- दूसरे के कल्याणके लिए ऐसे जुनून की मौजूदगी और गुंजाइश आज लोगों के बीचहैया नहीं। क्योंकिखुद संघर्ष से कतराकर पड़ोस में भगत सिंह के पैदा होने की सोच के जरिए कल्याणकारीबदलाव नहीं लाए जा सकते।

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