Friday, November 29, 2019

धड़ाम से गिरी अर्थव्यवस्था, 6 साल का सबसे बदतर रिकॉर्ड

मोदी सरकार के तमाम वादों के उलट भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पिछले 6 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ इस दौरान वृद्धि दर 4.5 फ़ीसदी पर जाकर सिमट गई है. ये 5 फ़ीसदी के मनोवैज्ञानिक आंकड़ों से भी काफी कम है.

वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में जीडीपी की दर 8 फ़ीसदी के क़रीब थी और उस वक़्त ये दावा किया जा रहा था कि हालात और सुधरेंगे, लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा. तब से गिरावट का जो सिलसिला शुरू हुआ वो हर तिमाही में गिरते हुए 4.5 प्रतिशत के स्तर पर जाकर रुका है.

जुलाई-सितंबर के लिए जारी आधिकारिक आंकड़ों में बताया गया है कि उपभोग दर में काफी तेज़ गिरावट आई है. हाल ही में NSSO द्वारा उपभोक्ता ख़र्च की रिपोर्ट मीडिया में सार्वजनिक होने के बाद ये पता चला था कि इसमें भारी गिरावट आई है, लेकिन सरकार ने अब तक इस रिपोर्ट को जारी नहीं किया है.

आपको बता दें कि इससे पहले 2012-13 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.3 फ़ीसदी थी. इसके बाद जीडीपी में लगातार बढ़ोतरी देखी गई. 2018-19 में ये दर 7 फ़ीसदी से ऊपर देखी गई, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान औसत वृद्धि दर 4.8 फ़ीसदी दर्ज हुई. पिछले साल इसी दौरान ये आंकड़ा 7.5 फ़ीसदी था.

भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने हाल ही में 2019-20 के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान को 6.9 फ़ीसदी से घटाकर 6.1 फ़ीसदी किया था. अगर चीन से तुलना करें तो जुलाई-सितंबर 2019 के दौरान वहां की अर्थव्यवस्था 6 फ़ीसदी की दर से बढ़ी जोकि वहां 27 साल का न्यूनतम स्तर है.

पहले से ही ये अनुमान जताया जा रहा था कि इस तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 5 फ़ीसदी से नीचे के स्तर पर आ जाएगी. हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कल ही संसद में ये भरोसा दिया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने का कोई आसार नहीं है, लेकिन ताज़ा आंकड़े को कई अर्थशास्त्री अब मंदी की दस्तक करार दे रहे हैं.

जीडीपी के आंकड़ों के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी हर दिन नीचे गिरती जा रही है. फिर चाहे वो नैतिकता, शासन या फिर आंकड़ों की बात हो.

कोर सेक्टर की वृद्धि दर में भी तेज गिरावट

वहीं अक्टूबर में अर्थव्यवस्था से जुड़े आठ अहम इंडस्ट्री की वृद्धि दर पिछले साल इसी महीने के मुकाबले 5.8 फीसदी कम रही है. इन कोर सेक्टरों में कोयला, कच्चा तेल, नेचुरल गैस, सीमेंट, स्टील, इलेक्ट्रीसिटी, फर्टिलाइजर और रिफाइनरी प्रोडक्ट शामिल हैं. इनमें से छह सेक्टरों के आउटपुट में भारी कमी आई है. सिर्फ फर्टिलाइजर इंडस्ट्री में बढ़त देखने को मिली है.

कोर प्रोडक्‍शन की बात करें तो 17.6 फीसदी की गिरावट आई है जबकि क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस प्रोडक्‍शन में क्रमश : 5.1 फीसदी और 5.7 फीसदी की कमी आई है. सीमेंट प्रोडक्‍शन में 7.7 फीसदी और स्‍टील प्रोडक्‍शन में 1.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसी तरह इलेक्‍ट्रिसिटी प्रोडक्‍शन 12.4 फीसदी लुढ़क गया है. सिर्फ फर्टिलाइजर्स सेक्‍टर पिछले साल के मुकाबले में 11.8 फीसदी की दर से बढ़ा है. पिछले साल अक्टूबर में कोर सेक्टर 4.8 फीसदी की दर से बढ़ा था.

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