इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के ज़रिए लोगों के व्हाट्सऐप में घुसकर जासूसी करने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. जहां एक तरफ केंद्र सरकार ने व्हाट्सऐप जाजूसी मामले में इस बात पर आश्चर्य जताया कि व्हाट्सएप के शीर्ष अधिकारियों के साथ जून से लेकर सितंबर के बीच हुई कई दौर की बातचीत में कंपनी ने एक बार भी पेगासस हैकिंग मामले का उल्लेख नहीं किया.
वहीं केंद्र सरकार के सूचना ने देने के दावे के बीच व्हाट्सऐप ने शुक्रवार को बताया कि कंपनी ने यूजर्स की सुरक्षा से जुड़े इस मसले की जानकारी भारत सरकार को मई में ही दे दी थी. इसके बाद कंपनी ने जासूसी के शिकार हुए लोगों की पहचान करने की कोशिश भी की थी.
व्हाट्सऐप ने एक कहा कि मई में हमने एक सुरक्षा मुद्दे के बारे में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सरकारी अधिकारियों को सूचित किया था. इसके बाद से हमने लगातार निशाने पर आए यूजर्स की यूजर्स की पहचान की. हमने बताया था कि भारतीय यूजर्स की
व्हाट्सऐप ने मई में सरकारी एजेंसी CERT-IN को जानकारी उपलब्ध कराई थी. लेकिन उपलब्ध कराई गई जानकारी में भारी-भरकम तकनीकि शब्दों का इस्तेमाल किया गया था और उस मैसेज में कहीं भी न तो पेगासस का ही जिक्र था और न ही सुरक्षा में सेंध की गंभीरता का.
इससे पहले पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में व्हाट्सएप के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह भारत सरकार की मांग से सहमत है जिसमें लाखों भारतीयों की निजता सुरक्षा को स्पष्ट करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि कंपनी सभी भारतीय नागरिकों की निजता की सुरक्षा की जरूरत के बारे में भारत सरकार के कड़े बयान से सहमत है. प्रवक्ता ने कहा कि हम सभी उपभोक्ताओं के मैसेजेज की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.
दरअसल व्हाट्सऐप ने हाल ही में इजरायली कंपनी एनएसओ पर जासूसी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया था. कंपनी का आरोप था कि एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर व्हाट्सऐप के जरिए पत्रकारों, वकीलों, दलित एक्टिविस्ट और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई.
इस खबर के आने के बाद से ही लगातार हंगामा मचा हुआ है साथ ही व्हाट्सऐप पर प्राइवेसी को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं.
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