Friday, December 27, 2019

लखनऊ के लिए उपलब्धियों का साल रहा 2019, सौगातों ने बदल दी शहर की तस्वीर

वर्ष 2019 में लखनऊ के नाम दो बड़ी उपलब्धियां रहीं। साल की शुरुआत में मेट्रो जहां पूरे 23 किमी रूट यानी एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच रफ्तार भरने लगी वहीं साल के अंत में शहर की सीमा को दोगुना बढ़ाते हुए 88 नए गांव नगर निगम में शामिल कर लिए गए। इससे नए इलाकों में विकास का रास्ता खुला। स्मार्ट सिटी में शहर को नई सौगातें मिलनी शुरू हुईं तो बिजली संकट दूर करने को नए उपकेंद्र चालू हुए। उधर, राजधानी में बाहरी वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए बन रहे आउटर रिंगरोड के पहले चरण का काम पूरा होने से वाहन फर्राटा भरने लगे। इससे दिखा कि भविष्य का लखनऊ कैसा होगा?

50,000 लोग रोजाना कर रहे मेट्रो की सवारी
नौ मार्च 2019 को कानपुर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक मेट्रो के कॉमर्शियल रन की शुरुआत की। अब करीब 50 हजार यात्री प्रतिदिन रेडलाइन पर 21 मेट्रो स्टेशनों के बीच यात्रा कर रहे हैं। इससे इंदिरानगर, गोमतीनगर, हजरतगंज जैसे इलाकों से चारबाग और एयरपोर्ट जाना आसान हो गया। एलयू तक छात्रों को भी पहुंचने में सुविधा मेट्रो दे रही है।

राजधानी से चली पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस
उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे ने इस वर्ष तरक्की की कई इबारतें लिखीं। इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि देश की पहली कारपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस है, जो अक्तूबर में लखनऊ जंक्शन से आनंदविहार के बीच शुरू हुई है।

ऐसे ही ऐशबाग से सीतापुर के बीच छोटी लाइन की जगह ब्रॉडगेज का काम पूरा हुआ और ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ। चारबाग पर सुविधाओं और सुरक्षा में बढ़ोतरी कर नया फुटओवर ब्रिज, लगेज स्कैनर, सब-वे की मरम्मत, फसाड लाइटिंग जैसे काम पूरे हुए। प्लेटफॉर्म नंबर छह और सात की मरम्मत भी हुई। चंडीगढ़ एक्सप्रेस, गोमती एक्सप्रेस में जहां एलएचबी बोगी लगीं। वहीं लखनऊ मेल, काशी विश्वनाथ, एसी एक्सप्रेस व जीआरपी को आईएसओ सर्टिफिकेट मिला।

गोमती सफाई को तेज हुआ एसटीपी का काम
गोमती में गिर रहे नालों के गंदे पानी और सीवर को रोकने के लिए लोहिया पथ के किनारे हैदर कैनाल पर 120 एमएलडी क्षमता एसटीपी बनाने का काम इस साल शुरू हुआ। इसके अलावा हैदर कैनाल पर रेटिंग वाल बनाने कालीदास मार्ग चौक से डीजीपी मोड़ तक सड़क बनाने का काम भी अब तक शुरू नहीं हुआ।

कचरा प्रबंधन रहा लाइलाज कचरा प्रबंधन योजना 2019 में भी सुधर नहीं पाई। खुले कूड़ा घरों को बंद कर कॉम्पैक्टर लगाने का काम तो हुआ, लेकिन उनके संचालन का काम सही से न होने से वहां पर भी कूड़ा खुले में दिखता रहा। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन भी शत प्रतिशत नहीं हो रहा है। कूड़ा प्रबंधन की तरह ही अतिक्रमण भी नासूर बना रहा। फेरी नीति पर काम हुआ, लेकिन इसे प्रभावी नहीं बनाया जा सका। कागजी कार्रवाई के लिए करीब 30 दुकानदारों को प्रमाण पत्र जारी हुए, लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं दिखा।

568 वर्ग किमी हुई नगर सीमा
कई साल से अटके नगर निगम सीमा विस्तार के प्रस्ताव को इस साल मंजूरी मिल गई। शासन से गजट नोटिफिकेशन भी हो गया। उसके बाद अब शहर के नए 88 गांव विधिवत रूप से नगर निगम सीमा में शामिल हो गए हैं। जिससे अब दो नगर निगम (ट्रांस गोमती और सिस गोमती) बनाए जाने की जरूरत भी महसूस की जा रही है। नए वार्ड ओर जोन भी बनाए जाएंगे नगर निगम की सीमा 258 वर्ग किमी से बढ़कर 568 वर्ग किमी हो गई है।

आउटर रिंगरोड पर वाहनों ने भरा फर्राटा
आउटर रिंगरोड प्रोजेक्ट के एक भाग अयोध्या हाइवे से कुर्सी रोड के बीच निर्माण पूरा कर लिया गया। यहां 14 किमी लंबे सेक्शन में वाहनों ने आवाजाही भी शुरू कर दी है। इससे कुर्सी रोड होते हुए सीतापुर हाइवे के वाहन अब सीधे शहर के बाहर अयोध्या हाइवे पर पहुंच जा रहे हैं। वहीं बाकी सेक्शन के निर्माण को शुरू कर दिया गया है।

बनने लगे शहर में चार नए फ्लाईओवर
लखनऊ में ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के लिए चार नए फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हो गया। लंबे समय में पुराने लखनऊ और इनर रिंगरोड पर फ्लाईओवर की जरूरत महसूस की जा रही थी। पुराने लखनऊ में तीन फ्लाईओवर चरक से हैदरगंज, हुसैनगंज से डीएवी कॉलेज, विक्टोरिया स्ट्रीट से मीना बेकरी के बीच निर्माण शुरू हुआ, वहीं इनर रिंगरोड पर टेढ़ी पुलिया चौराहे पर फ्लाईओवर बनने लगा। 2020 के अंत तक दो फ्लाईओवर्स पर ट्रैफिक चलना शुरू भी हो जाएगा।

दो चौराहों से शुरू ट्रैफिक सर्विलांस
इंटीग्रेटेड ट्रैैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) को लेकर शहर भर में ट्रैफिक सिग्नल लाइटों और ट्रैफिक सर्विलांस सिस्टम बनाने पर खूब काम हुआ है। इस साल शहर के दो चौराहों से ई-चालान का काम शुरू हुआ और शहर के करीब 50 चौराहों पर ट्रैफिक सर्विलांस सिस्टम विकसित करने का काम हुआ।

जोनल कार्यालयों पर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की सुविधा
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की ऑनलाइन सुविधा में तो इस साल कई खामियां रहीं। कई सुविधाएं समाप्त की गईं, लेकिन साल के अंत में एक बड़ी सुविधा बढ़ाई गई। इसमैं जोनल अधिकारियों को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाने का अधिकार दिया गया। अब हर जोन में वहीं के वार्डों के लोगों के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं।

टी-थ्री भी लेने लगा आकार निजी कंपनी को मिला एयरपोर्ट 2019 में अमौसी एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल टी-थ्री का काम शुरू कर दिया गया। करीब 1400 करोड़ रुपये से इस टर्मिनल को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इससे 4000 यात्रियों को एक साथ हैंडल करने की क्षमता एयरपोर्ट की बढ़ जाएगी। एयरपोर्ट 2019 में 20 लाख से 50 लाख यात्री प्रतिवर्ष की श्रेणी से अपग्रेड होकर 50 लाख से 1.5 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष की श्रेणी में पहुंच गया है। एयरपोर्ट का निजीकरण भी हो गया। एयरपोर्ट की जिम्मेदारी अडानी ग्रुप को सौंप दी गई। वहीं विमानों को कोहरे में लैंडिंग करवाने के लिए लगाए गए कैट थ्री-बी लाइटिंग सिस्टम को अपग्रेड किया गया है। वहीं एयरपोर्ट पर आठ विमानों के लिए पार्किंग का निर्माण भी शुरू करवाया गया।
उपभोक्ताओं की झोली में आए चार उपकेंद्र
राजधानी में उपभोक्ता सेवाओं के मद्देनजर वर्ष 2019 में चार उपकेंद्र उनकी झोली में आए। इनमें दो 132 केवी ट्रांसमिशन एवं दो 33 केवी उपकेंद्र शामिल हैं। ट्रांसमिशन में हनुमान सेतु एवं सुल्तानपुर रोड उपकेंद्र चालू हुए तो 33 केवी उपकेंद्रों की बिजली सप्लाई में बेहतर सुधार हुआ। गैस आधारित 132 केवी हनुमान सेतु उपकेंद्र के चालू होने से मुख्यमंत्री कार्यालय लोक भवन की बिजली व्यवस्था और मजबूत हुई। वहीं सुल्तानपुर रोड 132 केवी ट्रांसमिशन उपकेंद्र से बिजली चालू हुई तो आसपास के ट्रांसमिशन के ओवर लोड उपकेंद्र को भी राहत मिली। 2019 में 33 केवी उपकेंद्र आईटीआई एवं सुल्तानपुर रोड स्थित अमेठी चालू हुए जिससे गोसाईगंज एवं कपूरथला उपकेंद्र की ओवर लोडिंग खत्म हो गई और 15 हजार से अधिक उपभोक्ताओं की बिजली सुधरी।

जेपीएनआईसी को मिली निराशा जेपीएनआईसी के निर्माण को पूरा कर संचालन शुरू कराने में एलडीए को इस साल निराशा हाथ लगी। करीब 995 करोड़ रुपये के संशोधित बजट को स्वीकृति देने से आवास विभाग ने मना कर दिया। ऐसे में 865 करोड़ रुपये के पूर्व में स्वीकृत बजट में इसे शुरू कराने की चुनौती एलडीए के सामने आ गई है।

16 साल बाद एलडीए ने बेचे भूखंड
एलडीए ने 16 साल के बाद आवासीय भूखंड बेचने में सफलता पाई। 36 साल के बाद बसंतकुंज योजना में नजूल की जमीनों के प्रतिकर बांटने का संकट खत्म हो गया। करीब 565 भूखंड जहां एलडीए ने नए बेचे, वहीं करीब 1900 भूखंड पर पुराने आवंटियों को कब्जा देने का रास्ता खुला। इसके बाद एलडीए ने मोहान रोड और प्रबंधनगर योजना पर काम शुरू करा दिया।
मुद्दे जिनका नहीं निकल सका हल
– अनियोजित कॉलोनियों का विकास नहीं हो सका n सफाई व्यवस्था को ठीक नहीं किया जा सका n अतिक्रमण और अवैध कब्जे जैसी समस्याएं अब भी बनी हुईं
– पार्क की जमीन, नियोजित कॉलोनियों में खाली भूखंडों पर झुग्गी-झोपड़ियां, कूड़ा जैसी समस्याओं का हल नहीं
– वायु प्रदूषण कम करने पर कोई योजना प्रभावी नहीं रही nबिजली की ओवरलोडिंग की शिकायत बनी हुई nट्रेनों का संचालन समय पर होना अब भी दूर की कौड़ी nसड़कों के गड्ढे तमाम दावों के बाद भी बने हुए
– मानवाधिकार आयोग की सख्ती के बाद भी स्पीड ब्रेकर नहीं टूटे

बीते की बात: महायोजना के रूप में लखनऊ के पास रोडमैप
महायोजना 2031 के बनने से लखनऊ के विकास को लेकर एक रोडमैप अब मौजूद है। इसका उपयोग सभी विभागों को करना चाहिए। विकास का यह रोडमैप जरूरत का आकलन करते हुए तैयार की गई दूरगामी योजनाएं हैं। अगर सभी विभाग जैसे नगर निगम, मंडी परिषद, उद्योग बंधु, आवास विकास परिषद इस पर काम करें। इससे बेहतर शहर बन सकता है। ग्रीनबेल्ट पर लखनऊ में अभी काम हुआ है। – जेएन रेड्डी पूर्व मुख्य नगर नियोजक, एलडीए

आगे का आगाज
स्मार्ट होगा शहर, कई योजनाएं होंगी लॉन्च

स्मार्ट सिटी योजना का काम तेजी से चल रहा है। कमांड कंट्रोल सेंटर और इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का काम लगभग पूरा होने वाला है। दो चौराहे चालू भी कर दिए गए हैं। जो भी योजनाएं हैं उनके टेंडर जारी हो चुके हैं। ऐसे में अगले साल पूरा शहर स्मार्ट होगा। हड़ियान खेड़ा में नया कान्हा उपवन भी शुरू हो जाएगा। ऑनलाइन गृहकर निर्धारण भी नए साल की बड़ी सुविधा होगी। 200 करोड़ के म्यूनिसिपल बांड भी जारी हो जाएंगे।

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