आपको बता दें कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ में पत्थर के अलावा अलग अलग धातुओं के शिवलिंग भी रखे जाते हैं वही सभी धातुओं के शिवलिंग की पूजा का महत्व अलग अलग होता हैं। घर में रखने के लिए कई तरह की धातुओं के शिवलिंग बाजार में सरलता से मिल जाते हैं

वही ज्योतिष के अनुसार किसी भी धातु का छोटा सा शिवलिंग ही घर में रखना चाहिए। धातुओं में पारद यानी पारा तरल अवस्था में रहता हैं। इसका भी शिवलिंग बनता हैं इस शिवलिंग की पूजा से भक्त की सभी इच्छाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं पारद शिवलिंग घर में रखने से वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं पारे से बने शिवलिंग की कुछ खास बातें, तो आइए जानते हैं।
पारद शिवलिंग बनाना बहुत कठिन माना जाता हैं सबसे पहले पार को साफ किया जाता हैं इसके बाद कई औषधियां मिलाकर तरल पारे का बंधन किया जाता हैं यानी ठोस किया जाता हैं इस पूरी क्रिया में करीब 6 महीने लगते हैं इसके बाद पारद शिवलिंग बनकर तैयार हो जाता हैं।
वही शिवपुराण में लिखा हैं, कि लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्। तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।। ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च। तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।। स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।। वही शिवपुराण के इस श्लोक के मुताबिक करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता हैं, उससे भी करोड़ गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की आराधना और दर्शन से मिल जाता हैं पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पापों से मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती हैं। वही घर में हाथ के अंगूठे के पहले भाग से बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए।
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