Wednesday, April 1, 2020

घर में पूजा स्थान कैसा हो, किस देवता की प्रतिमा रखें

वर्तमान समय में जब आप कोरोना, लॉकडाउन के कारण मंदिर आदि बंद होने से वहां जा नहीं सकते तो क्या करें ? वैसे भी आजकल दौड़भाग की जिंदगी में अक्सर दिनचर्या बहुत व्यस्त होने से आप रोज मंदिर नहीं जा सकते। इसलिए घर में बने छोटे या बड़े पूजा स्थान पर ही अपने अपने ईष्ट का स्मरण करते हेैं। देखें आपका मंदिर कहां हो, कैसा हो, कोैन सी मूर्तियां हों, कितनी हों, कौन सी न हों, दिशा क्या हो.
घर चाहे छोटा हो या बड़ा, अपना हो या किराये का, लेकिन हर घर में मंदिर जरूर होता है। कई बार पूजा-पाठ के लिए स्थान बनवाते समय जाने-अनजाने में लोगों से छोटी-मोटी वास्तु संबंधी गलतियां हो जाती हैं। इन गलतियों की वजह से पूजा का फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो पाता है।सुख शांति और सकारात्‍मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए घर में मंदिर का उचित स्‍थान पर होना भी बहुत जरूरी है।
पूजा घर हमेशा पूर्व या उत्‍तर दिशा में ही होना चाहिए। मंदिर का पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना अशुभ फलों का कारण बन सकता है। घर में मंदिर या पूजाघर के ऊपर या आस-पास में शौचालय नहीं होना चाहिए। मंदिर को रसोईघर में बनाना भी वास्‍तु के हिसाब से उचित नहीं माना जाता है। भगवान की मूर्तियों को एक-दूसरे से कम से कम 1 इंच की दूरी पर रखें। एक ही घर में कई मंदिर न बनाएं वरना मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सीढ़‍ियों के नीचे या फिर तहखाने में भूलकर भी मंदिर न बनवाएं। ऐसा करने से पूजा-अर्चना का फल नहीं मिलता।
घर में जहां पर मंदिर बना हो, ध्‍यान रखें कि उस ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए।
पूजा घर का द्वार टिन या लोहे की ग्रिल का नहीं होना चाहिए। पूजा घर शौचालय के ठीक ऊपर या नीचे न हो। पूजा घर शयन-कक्ष में न बनाएं।
घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य-प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो द्वारका के गोमती चक्र और दो शालिग्राम का पूजन करने से गृहस्वामी को अशान्ति प्राप्त होती है। पूजा घर का रंग स़फेद या हल्का क्रीम होना चाहिए। भगवान की तस्वीर या मूूर्ति आदि नैऋत्य कोण में न रखें। इससे बनते कार्यों में रुकावटें आती हैं। मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा उस देवता के प्रमुख दिन पर ही करें या जब चंद्र पूर्ण हो अर्थात 5,10,15 तिथि को ही मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करें।
शयनकक्ष में पूजा स्थल नहीं होना चाहिए। अगर जगह की कमी के कारण मंदिर शयनकक्ष में बना हो तो मंदिर के चारों ओर पर्दे लगा दें। इसके अलावा शयनकक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में पूजास्थल होना चाहिए।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य और कार्तिकेय, गणेश, दुर्गा की मूर्तियों का मुंह पश्‍चिम दिशा की ओर होना चाहिए कुबेर, भैरव का मुंह दक्षिण की तरफ़ हो, हनुमान का मुंह दक्षिण या नैऋत्य की तरफ़ हो। उग्र देवता (जैसे मां काली) की स्थापना घर में न करें।
रसोई घर, शौचालय, पूजाघर एक-दूसरे के पास न बनाएं। घर में सीढ़ियों के नीचे पूजाघर नहीं होना चाहिए। भगवान जी का चेहरा कभी भी ढकना नहीं चाहिए, यहां तक कि फूल-माला से भी चेहरा नहीं ढकना चाहिए।

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